पृष्ठ

power

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

बुधवार, 22 जुलाई 2009

रुद्राक्ष की पहचान् और रोग निवारण


रुद्राक्ष की पहचान्

आजकल बाजार या धार्मिक स्थानो पर नकली रुद्राक्ष मिलते है।रुद्राक्ष की तरह एक फल ओर होता है जिसे भद्राक्ष कह्ते है।यह प्रायः टेढ़ा- मेढ़ा होता है।इसलिए सही तो यह होगा कि जो उसकी शुध्द्ता की 100% गारण्टी लेता हो।वही से रुद्राक्ष को खरीदे।औसतन रुद्राक्ष इण्डोनेशिया मे 70%,भारत मे 5%,और नेपाल मे 25% पाये जाते है।जिस रुद्राक्ष मे प्राकृ्तिक रुप से छेद हो वह उत्तम होता है।शुध्द रुद्राक्ष को अग्नि के समीप ले जाए तो वह बड़े वेग से (करंट लगने की तरह)उछल जाएगा। दो ताबे के सिक्को के मध्य रुद्राक्ष को रखकर दबाया जाए तो वह एक झटके के साथ दिशा बदल लेता है।रुद्राक्ष को हथेली पर रखकर दोनो हाथो से रगड़ा जाए तो "ओज्म सोहज्म" की ध्वनि सुनाई देती है। शुध्द रुद्राक्ष जल मे तैरता नही बल्कि डूब जाता है।इस तरह से आप रुद्राक्ष की पहचान कर धारण कर सकते है।

रोग निवारण रुद्राक्ष द्वारा

रुद्राक्ष कई रोगों से हमारा बचाव करते हैं।रुद्राक्ष हमारे मन को भी शांति प्रदान करने में सहायक होते हैं।रुद्राक्ष की माला पहनने से शरीर मे रक्त का संचार भी सही ढंग से होता है और हृदय भी मजबूत होता है।शहद मे घिसकर रुद्राक्ष देने से मूर्च्छा तथा मृ्गी जैसे रोगो से भी छुटकारा मिल जाता है। पेट के रोग, यकृ्त व लीवर सम्बन्धी रोगो,मानसिक दबाव (डिप्रेशन) का शिकार रहना,एकाग्रता की कमी होना,टी.वी, दमा, खॉसी, टिटेनस के रोग, रुक-रुक के ज्वर होने पर,चक्कर आने पर, प्रदक आदि स्त्रियो के रोगो मे आराम मिलता है।बुधवार को बुध की होरा मे रुद्राक्ष की माला (108) दाने की धारण करने से रक्तचाप ठीक रहता है।कौन से रुद्राक्ष से कौन सा उपचार होता है इसकी चर्चा आगे के लेख मे मै आप से करुगी।

चित्र साभार - गूगल


LinkWithin

Related Posts with Thumbnails