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शनिवार, 12 जून 2010

शनैश्चरी अमावस्या


 आज 12-06-2010 ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष,रोहिणी नक्षत्र ,शनैश्चरी अमावस्या है।चंद्र का संचार मिथुन राशि पर है।आज ही शनि जयंती,भावुका अमावस्या और वट सावित्री व्रत भी है । इन सब के साथ-साथ आज सर्वार्थ सिद्ध योग भी है।इस शक्तिशाली योग मे प्रारम्भ किये अभीष्ट कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। ये शनि जयंती चार साल के बाद आई है और अगला यह योग 2013 में बनेगा।इस दिन शनि देव की पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए ।

सिंह , कन्या, तुला राशि पर अभी साढेसाती और मिथुन, कुंभ राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। ऎसे जातको को इस दिन शनि देव जी की प्रतिमा का पूजन कर तेल से अभिषेक करना चाहिए ।अगर कोई रोगी है तो उसे इस दिन तेल भरे बर्तन मे अपना मुंह देखकर पात्र सहित दान मे देना चाहिए ।जिन की कुंडली में 1,4,5,6, भाव मे अकेला अशुभ शनि बैठा हुआ है उसे यह उपाय जरुर करना चाहिए ।


जिन का लोहे, सरसो के तेल,कोयला,स्पिरिट ,लकडी अर्थात शनि के संबधित व्यवसाय हो उन्हे इस अदभुत संयोग से बने इस दिन मे शनि से संबधित वस्तुओ का दान और उनके मंत्रो का जाप जरुर करना चाहिए । शनि दान मे उडद की दाल ,तेल, लोहा ,चिमटा ,चमडा ,अंगीठी, पत्थर वाला कोयला, काले तिल ,का दान करना चाहिए ।इससे शनि-प्रकोप दूर होता है और शनि देव कृपा करते है। शनि कल्याण करते है तो जमाने भर की दौलत प्रदान करते है ।


संतान की प्राप्ति के लिए आज वट सावित्री व्रत का बहुत महत्व है। संतान प्राप्ति के इच्छुक वट वृक्ष का पूजन कर शाम को वट वृक्ष के नीचे सरसो या तिल के तेल का दीपक जरुर जलाएँ। इस व्रत को करने से सुख,सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। जिन की कुंडली में ग्रहो का अरिष्ट योग है,इस व्रत को करने से वह दोष दूर होता है।पुराणो के अनुसार इस वृक्ष मे सावित्री, ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव का वास होता है इसलिए इस दिन औरते वृक्ष के चारो तरफ़ 108 या 7 बार प्रदक्षिणा कर सूत का धागा लपेट कर अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करती है। जिन कन्याओ के विवाह न हो रहा हो वह भी इस व्रत को करे तो उन के विवाह के योग बन जायेगे ।


शनि की शान्ति के लिए सुबह गंगाजल,काले तिल,दूध लेकर पीपल की जड मे डाले और शाम को इस वृक्ष के नीचे दीपक जलाये। शुक्रवार को काले चने भीगो दे ।अगले दिन शनिवार को उसे काले कपडे में रख कर साथ मे लोहे की हल्की पत्ती और कच्चा कोयला डाल कर उस कपडे को बाँधकर जहाँ मछलियाँ हो उस पानी में प्रवाहित करे।ऎसा माना जाता है कि यह दान मोती दान के बराबर होता है।







(अंजना )

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