रक्षा बन्धन का पर्व प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को देश भर में मनाया जाता है।इस बार 2013 में यह पर्व 20 और 21 अगस्त दो दिन मनाया जा रहा है। इस से पहले यह संयोग 14 अगस्त 1973 में बना था । 20 अगस्त को सुबह 10:22 बजे से शुरु है लेकिन साथ ही में भद्रा भी शुरु हो रही है।जो रात को 8 बजकर 49 मिनट पर समाप्त हो जायेगी। भद्रा को विष्टिकरण के नाम से भी जाना जाता है।भद्रा शनि की बहन तथा सूर्य की पत्नी छाया से उत्पन्न है।चन्द्रमा जब मेष,वृष,मिथुन,वृश्चिक मे हो तो उस समय भद्रा का वास स्वर्ग मे ,कन्या,तुला,धनु,मकर में हो तो पाताल-लोक में तथा कर्क,सिंह,कुभ्भ,मीन में हो तो मृ्त्यु लोक में भद्रा का वास होता है ।शास्त्रो के अनुसार कोई भी शुभ कार्य भद्रा में नही किया जाता है। ग्रह नक्षत्रों तथा तिथि के आगे पीछे होने से ऎसे संयोग बनते है।आने वाले वर्षो में यह संयोग 2022
में दिखेगा ।कहा जाता है कि रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्रा के दौरान रावण को राखी बाधी थी जिससे उस का एक साल के अंदर अंत हो गया ।श्रावण पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बाँधी थी।जिस
के कारण देवासुर संग्राम में इंद्र की पराजय हुई तब देवता के गुरु बृहस्पति ने इंद्र
के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधा था, जिसके कारण इंद्र की विजय हुई।
श्रावण मास की पूर्णिमा उदया तिथि बुधवार् 21 को पड रही है।उदया तिथि को पर्व बनाने की परंपरा रही है इसलिए बुधवार को ही रक्षाबन्धन का पर्व बनाना चाहिए।
आप इस मंत्र से भाई के हाथ पर राखी बाँध सकती है---
मन्त्र :-
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामनु बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
यह मंत्र रक्षा कवच की तरह काम करता है और भाईयो की उम्र मे भी वृद्धि होती है।
आप बुधवार 21.8.2013 को इस चौघडिया से भी राखी बाँध सकते है।
सुबह -6 से 7:30 बजे तक…….लाभ
7:30 से 09:00 बजे तक……..अमृत
10:30 से 12:00 बजे तक….शुभ
शाम 04:30 से 06:00 तक….लाभ
चित्र -गूगल साभार
जानकारीपूर्ण पोस्ट
जवाब देंहटाएंअनीता जी, आप का मेरे ब्लांक पर आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएं