पुरुषोत्तम मास जिसे मल मास,लोंद का महीना और अधिक मास के नाम से भी जाना जाता है।अधिक मास 32 महीना 16 दिन और 4 घडी के अन्तर मे आया करता है।जो महीना सूर्य संक्रान्ति से रहित हो उसे मल-मास कहते है।जिस महीने मे अधिक मास आता है,उसमे चार पक्ष होते है।प्रथम और चतुर्थ पक्ष शुद्ध महीने के होते है तथा द्धितीय और तृतीय पक्ष अधिक मास कहलाते है यानि शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरु होकर कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक अधिक मास होता है। अंग्रेजी वर्ष 2010 के तिथि अनुसार 15-04-2010 से 14-05-2010 तक वैशाख मास अधिक मास के रुप मे है।इस मास मे भगवान पुरुषोत्तम की नित्य पूजा की जाती है तथा उन की कथा सुनी जाती है।इस माह में एक काँसे की थाली में मिठाई तथा दक्षिणा रखकर कपडे में बाँध कर किसी ब्राह्मण को दान करना अच्छा होता है। वैसे भी इस मास व्रत , उपवास, दान ,पूजा आदि का बहुत महत्व माना जाता है।अगर सम्भव हो तो इस मास एक समय भोजन का नियम बनाकर व्रत करे । जो व्रत न कर सके वो भी अगर भगवान राधा-कृष्ण जी का पूजन करे ,अर्ध्य दे और प्रार्थना करे तथा नैवेद्य मे घी,गेहूँ के बने पदार्थ मालपूडा,फल,आदि का भोग लगाये तो उसे भी प्रभु की कृपा प्राप्त होती है क्योकि इस मास मे व्रत और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, तथा व्रत करने वाले के अनिष्ट खत्म हो जाते है। अधिक मास मे कोई भी शुभ कार्य नही करना चाहिए जैसे विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन ,काम्य कर्म अर्थात फल प्राप्ति की कामना के लिए किए वाले काम नही करने चाहिए। हर साल 24 एकादशियाँआती जाने है लेकिन जिस वर्ष मल मास हो उस साल 26एकादशियाँ आती है ।मल मास की ये दो एकादशियो का बहुत महत्व है ,साथ ही अधिक मास की पूर्णिमा का भी बहुत महत्व है। जो इन व्रतो को करता है उसे प्रभु की कृपा प्राप्त होती है और प्रभु उसके सभी कष्टो को दूर कर देते है।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।