सोमवार 12 जुलाई 2010 आषाढ शुक्लपक्ष प्रतिपदा तिथि, को माता का पहला नवरात्रा है। वैसे तो साल मे दो बार ही नवरात्र बनाया जाता है।एक चैत्र शुक्ल पक्ष के महीने मे और दूसरा आश्विन शुक्ल पक्ष के माह मे लेकिन दो बार ओर नवरात्रे आते है जिसे गुप्त नवरात्रा कहा जाता है ।वह गुप्त नवरात्रा एक तो आषाढ शुक्ल पक्ष मास मे और दूसरा गुप्त नवरात्रा माघ शुक्ल पक्ष के मास मे आता है। ये गुप्त नवरात्रे साधना सिद्धि के लिए होते है।तांत्रिक सिद्धि के लिए ये गुप्त नवरात्रे बहुत उपयुक्त होते है। गृहस्थ व्यक्ति को भी इन दिनो मे माँ की पूजा आराधना कर और कुण्डलिनी शक्ति जागाकर क्रियाशील करनी चाहिए । ब्रह्मा,विष्णु,रुद्र,ईश्वर,सदाशिव और परशिव ये शिव कहलाते है । डाकिनी, राकिनी, लाकिनी, काकिनी, शाकिनी और हाकिनी ये छह शक्तियाँ है जो क्रमशःषटचक्र के अधिष्टातृ देवी-देवता है।साधना कर साधक शिव-शक्ति रुप मे परमात्मा का दर्शन पाते है। इन दिनो मे साधको के साधन का फल व्यर्थ नही जाता है ।माँ अपने भक्तो को उनकी साधना के अनुसार फल देती है। इन दिनो मे दान पुण्य का भी बहुत महत्व होता है।
चित्र गुगल सर्च इंजन से साभार
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