वृत्तासुर की हत्या के बाद इंद्र देवता को ब्रह्म हत्या का दोष लगा। उस दोष के निवारण हेतु वह स्वर्ग को छोड़कर किसी अज्ञात स्थान पर चले गए। स्वर्ग की व्यवस्था अस्त-व्यस्त होने के कारण सभी देवता विष्णु भगवान जी के पास गए उन्होंने बताया कि इंद्र मानसरोवर में कमल की नाल के अंदर छिपा हुआ है आप उनसे अश्वमेघ यज्ञ करवाये जिससे माता प्रसन्न हो जाएंगी। तब बृहस्पति देव जी और सभी देवताओं ने इंद्र द्वारा अश्वमेध यज्ञ करवाया। जिससे इंद्र पर लगा ब्रह्महत्या का दोष चार भागों में बंट गया। एक भाग वृक्ष को दिया जिसने गोंद का रूप धारण किया। दूसरा भाग नदियों को दिया जिसने फेन का रूप धारण किया। तीसरा भाग पृथ्वी को दिया जिसने पर्वतों का रूप धारण किया। चौथा भाग स्त्रियों को प्राप्त हुआ जिससे वे रजस्वला होने लगी। इस प्रकार से ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने पर इंद्र फिर से शक्ति संपन्न हो गए और अपने स्वर्ग पर निवास करने लगे।
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