4.चारमुखी रुद्राक्ष-चारमुखी रुद्राक्ष भगवान ब्रह्माजी का स्वरुप है।इस का स्वामी ग्रह बुद्ध है। इसे धारण करने वाला वेद-शास्त्र संपन्न, ,सर्वशास्त्रज्ञ, महाज्ञानी,सबका प्रिय तथा धन- संपन्न होता है।किसी प्रकार की कमी नही रहती।इससे आत्महत्या का पातक दूर हो जाता है।ऑखो मे तेज,वाणी मे मिठास, शरीर से स्वस्थ तथा दूसरो को आकर्षित करने का गुण आ जाता है।सन्तानहीन स्त्रियो को अवश्य धारण् करन चाहिए। यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थो को देने वाला है। इसे दाहिने हाथ मे धारण करना चाहिए। यह मंद बुध्दि क्षीण स्मरण शक्ति और कमजोर वाक् शक्ति के लिए अच्छा है।इस रुद्राक्ष को गौ के दूध मे उबाले और 3-4 सप्ताह तक पीने से मानसिक रोगो मे सफलता मिलती है।
5.पंचमुखी रुद्राक्ष- इस का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। यह पंच ब्रह्म तत्व का प्रतीक है अर्थात शिव, शक्ति, गणेश, सूर्य और विष्णु की शक्तियों से सम्पन्न माना गया है।इसके धारण से शारीरिक शक्ति,मानसिक शक्ति,संपति शक्ति,भाग्यशक्ति और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है। कुछ ग्रन्थों में पंचमुखी रुद्राक्ष के स्वामी कालाग्नि रुद्र बताए गए हैं।सामान्यत: पाँच मुख वाला रुद्राक्ष ही उपलब्ध होता है। संसार में ज्यादातर लोगों के पास पाँचमुखी रुद्राक्ष ही हैं। यह युवाओं के जीवन को सही दिशा देता है। इससे धन और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।परस्त्री गमन करने के पाप से मुक्त करता है।यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।उतराषाढ़ा (सूर्य का नक्षत्र)मे गुलाबी धागे मे बॉधकर गले मे डालने से समस्त नेत्र विकारो से निवारण होता है।रवि पुष्य योग मे ऑवले के बराबर 5 मुखी रुद्राक्ष गुलाबी धागे मे धारण करने से सभी प्रकार के ह्रदय रोगो का निदान होता है।मधुमेह, हड्डियो की कमजोरी,यकृत,गुर्दा मे मदद करता है।इसके कम से कम तीन दाने धारण करने चाहिये।
6.छह मुखी रुद्राक्ष-इस का स्वामी ग्रह शुक्र है।यह कार्तिकेय का प्रतीक है।सकारात्मक सोच,प्रखर बुद्धि,आपसी मेल सौहार्द लाता है तथा सभा-सम्मेलनों में बोलने की शक्ति प्राप्त होती है।यह शुत्र का नाश करता है।पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है।गुप्तांगो,मूत्रयोनि मार्ग,ओर मुंह व गले के रोगों मे आराम पहुंचाता है।(क्रमशः)
चित्र साभार - गूगल
5.पंचमुखी रुद्राक्ष- इस का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। यह पंच ब्रह्म तत्व का प्रतीक है अर्थात शिव, शक्ति, गणेश, सूर्य और विष्णु की शक्तियों से सम्पन्न माना गया है।इसके धारण से शारीरिक शक्ति,मानसिक शक्ति,संपति शक्ति,भाग्यशक्ति और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है। कुछ ग्रन्थों में पंचमुखी रुद्राक्ष के स्वामी कालाग्नि रुद्र बताए गए हैं।सामान्यत: पाँच मुख वाला रुद्राक्ष ही उपलब्ध होता है। संसार में ज्यादातर लोगों के पास पाँचमुखी रुद्राक्ष ही हैं। यह युवाओं के जीवन को सही दिशा देता है। इससे धन और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।परस्त्री गमन करने के पाप से मुक्त करता है।यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।उतराषाढ़ा (सूर्य का नक्षत्र)मे गुलाबी धागे मे बॉधकर गले मे डालने से समस्त नेत्र विकारो से निवारण होता है।रवि पुष्य योग मे ऑवले के बराबर 5 मुखी रुद्राक्ष गुलाबी धागे मे धारण करने से सभी प्रकार के ह्रदय रोगो का निदान होता है।मधुमेह, हड्डियो की कमजोरी,यकृत,गुर्दा मे मदद करता है।इसके कम से कम तीन दाने धारण करने चाहिये।
6.छह मुखी रुद्राक्ष-इस का स्वामी ग्रह शुक्र है।यह कार्तिकेय का प्रतीक है।सकारात्मक सोच,प्रखर बुद्धि,आपसी मेल सौहार्द लाता है तथा सभा-सम्मेलनों में बोलने की शक्ति प्राप्त होती है।यह शुत्र का नाश करता है।पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है।गुप्तांगो,मूत्रयोनि मार्ग,ओर मुंह व गले के रोगों मे आराम पहुंचाता है।(क्रमशः)
चित्र साभार - गूगल
Jaankari ke liye dhanywaad.
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग आज पढ़ा बहुत सी अच्छी जानकारी मिली विशेष कर रुद्राक्ष के बारे में ...आपसे कुछ इस विषय में पूछना तो आपसे कैसे सम्पर्क किया जाये शुक्रिया
जवाब देंहटाएंapne jo bataya hai bo bhut hi thik tarah se samjaya hai. thanks
जवाब देंहटाएं