कृत्तिका नक्षत्र सात तारो का एक झुंड है।वास्तव मे यह अंगूरों का गुच्छा प्रतीत होता है। कृत्तिका नक्षत्र का प्रथम चरण मेष तथा शेष तीन चरण वृष राशि में है।कार्तिक मास की पूर्णिमा को चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र में रहता है । इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य तथा देव अग्नि है। यह नक्षत्र सतोगुणी की श्रेणी मे आता है। इस नक्षत्र मे सामान्य व अग्नि संबधी कार्य सिद्ध होते है। इस नक्षत्र मे कोई वस्तु खोने पर न तो उस वस्तु का सुराग लगता है और न ही वह वस्तु मिल पाती है ।
कृत्तिका नक्षत्र से युक्त वारो
में देवताओं का यजन-पूजन समस्त
भोगों को देने वाला, व्याधियो को हर
लेने वाला तथा भूतों और ग्रहों का विनाश करने वाला होता है।इस नक्षत्र मे प्रत्येक
वार और तिथि आदि में पूजा का विशेष महत्व है।कृत्तिका नक्षत्र से युक्त हर वार का
अपना महत्व है, जो इस प्रकार है-----
रविवार ----कृत्तिका नक्षत्र से युक्त रविवारो को भगवान
सूर्य की पूजा करने तथा तेल और सूती वस्त्र देने से मनुष्यो के कोढ आदि का नाश
होता है। ह्रर्रै, काली मिर्च, वस्त्र और खीरा आदि का दान और ब्राह्मणो की
प्रतिष्ठा करने से क्षय के रोग का नाश होता है। दीप और सरसों के दान से मिरगी का
रोग मिट जाता है।
सोमवार ----कृत्तिका नक्षत्र से युक्त सोमवारों को किया
हुआ शिवजी का पूजन मनुष्यों के महान दारिद्रय को मिटाने वाला और सम्पूर्ण
सम्पतियों को देने वाला है।घर की आवश्यक सामग्रियों के साथ गृह और क्षेत्र आदि का
दान करने से भी उक्त फल की प्राप्ति होती है।
मंगलवार
----कृत्तिका नक्षत्र से युक्त
मंगलवारो को श्रीस्कंद का पूजन करने से तथा दीपक एवं घण्टा आदि का दान देने से
मनुष्यों को शीघ्र ही वाकसिद्धि प्राप्त होती है। उन के मुँह से निकली हुई हर बात
सत्य होती है।
बुधवार ----कृत्तिका नक्षत्र से युक्त बुधवारो को किया
हुआ श्रीविष्णु जी का यजन तथा दही-
भात का दान मनुष्यो को उत्तम संतान की प्राप्ति कराने वाला होता है।
गुरुवार
----कृत्तिका नक्षत्र से युक्त
गुरुवारो को धन से ब्रह्मा जी का पूजन तथा मधु, सोना और घी का दान करने से मनुष्यो के भोग- वैभव की वृद्धि होती है।
शुक्रवार
---- कृत्तिका नक्षत्र से युक्त
शुक्रवारो को गजानन गणेश जी की पूजा करने से तथा गंध, पुष्प एवं अन्न का दान देने से मनुष्यो के भोग्य पदार्थो की वृद्धि होती
है।उस दिन सोना, चांदी आदि का दान
करने से बंध्या को भी उत्तम पुत्र की प्राप्ति होती है।
शनिवार ---- कृत्तिका नक्षत्र से युक्त शनिवारो को
सेतुपालों का पूजन, त्रिनेत्रधारी
रुद, पापहारी विष्णु तथा ज्ञानदाता
ब्रह्मा की आराधना और धन्वंतरि एवं दोनो अश्विनी कुमारो का पूजन करने से रोग , दुर्मृत्यु एवं अकाल मृत्यु का निवारण होता है।
साथ ही तात्कालिक व्याधियो की शंति हो जाती है। नमक, लोहा, तेल और उड्द आदि
का त्रिकुट (सोंठ, पीपल और गोलमिर्च) फल, गंध और जल आदि का तथा घृत आदि द्रव-पदार्थो का और सुवर्ण, मोती
आदि कठोर वस्तुओं का भी दान देने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
चित्र-- गुगल साभार