भगवत् गीता में भी लिखा है कि जिस तरह से एक मनुष्य पुराने कपड़े उतार कर नए कपड़े पहनता है उसी तरह हमारी आत्मा भी पुराने शरीर को छोड़ कर नया शरीर धारण करती है लेकिन ये नया शरीर क्या हमे मानव का ही मिलता है या पशु का ।इस मे भी सभी के अलग अलग विचार है ।कोई कहता है कि बुरा कर्म करने वालो को अगले जन्म मे पशु की योनि मिलती है,लेकिन वास्तविकता यह है कि मनुष्य के आत्म संस्कारो,उसकी वासनाओ के परिणामो के अनुसार ही उस का अगला जन्म निर्धारित होता है,लेकिन योनि मानव की ही रहती है । पशु जैसा शरीर नही मिलता बल्कि पशु जैसा मन मिलता है यानि उसकी बुद्धि, वृत्ति,प्रवृ्त्ति, कृ्त्ति सब पशुओ जैसी हो सकती है । इस तरह उस के कर्मो और संस्कारों के परिणाम के अनुसार उसका भाग्य , प्रारब्ध और स्वभाव बदल जाता है पर योनि नही बदलती है ।मानव शरीर लेकर भी उसका जन्म गधे जैसा हो सकता है इसलिए हम इस डर को कि हम पशु-पक्षी की योनि में जन्म लेगे इसे अपने मन से निकाल दे और अशुभ कर्मो का त्याग कर मुक्ति की राह को जाएं |
श्री सतगुरु महाराज जी को कोटि कोटि प्रणाम. क्या समर्पण करुँ मेरा तो कुछ भी नही,जो कुछ है वो आप ही का है,आप ही का आप को अर्पण मेरे प्रभु...
शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
जाने पुनर्जन्म के बारे मे
भगवत् गीता में भी लिखा है कि जिस तरह से एक मनुष्य पुराने कपड़े उतार कर नए कपड़े पहनता है उसी तरह हमारी आत्मा भी पुराने शरीर को छोड़ कर नया शरीर धारण करती है लेकिन ये नया शरीर क्या हमे मानव का ही मिलता है या पशु का ।इस मे भी सभी के अलग अलग विचार है ।कोई कहता है कि बुरा कर्म करने वालो को अगले जन्म मे पशु की योनि मिलती है,लेकिन वास्तविकता यह है कि मनुष्य के आत्म संस्कारो,उसकी वासनाओ के परिणामो के अनुसार ही उस का अगला जन्म निर्धारित होता है,लेकिन योनि मानव की ही रहती है । पशु जैसा शरीर नही मिलता बल्कि पशु जैसा मन मिलता है यानि उसकी बुद्धि, वृत्ति,प्रवृ्त्ति, कृ्त्ति सब पशुओ जैसी हो सकती है । इस तरह उस के कर्मो और संस्कारों के परिणाम के अनुसार उसका भाग्य , प्रारब्ध और स्वभाव बदल जाता है पर योनि नही बदलती है ।मानव शरीर लेकर भी उसका जन्म गधे जैसा हो सकता है इसलिए हम इस डर को कि हम पशु-पक्षी की योनि में जन्म लेगे इसे अपने मन से निकाल दे और अशुभ कर्मो का त्याग कर मुक्ति की राह को जाएं |
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पशु जैसा शरीर नही मिलता बल्कि पशु जैसा मन मिलता है यानि उसकी बुद्धि, वृत्ति,प्रवृ्त्ति, कृ्त्ति सब पशुओ जैसी हो सकती है । इस तरह उस के कर्मो और संस्कारों के परिणाम के अनुसार उसका भाग्य , प्रारब्ध और स्वभाव बदल जाता है पर योनि नही बदलती है ।
जवाब देंहटाएंआपकी बात मे गहराई लगती है. बहुत शुभकामनाएं. नये साल की रामराम.
रामराम.
अगला जन्म? किसने देखा है अगला जन्म, भगवत गीता? युद्ध कर। भाइयों को मार ! चला तीर ! कर वार ! तलवार का हो धड सर सर अलग कत्ल करने की प्रेरणा ? मुझे आजकल के अफ्गानिस्तान याद आ गया
जवाब देंहटाएंआपके और आपके परिवार के लिए नये वर्ष की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंसंदीप तारा जी,आत्मा पुनर्जन्म लेती है।यह सत्य है ।इस दुनिया मे किसी का जन्म अच्छे कुलीन, सभ्य, अमीर घर मे होता है और किसी का असभ्य,गरीब घर मे होता है।क्यो ?? क्योकि शरीर छोडने के बाद उसके स्वभाव और कर्मो के अनुसार ही अगला जन्म निर्धारित होता है । आप इसी जन्म मे देखिऎ किसी को दिमाग मे चोट लगती है तो वह सब कुछ भूल जाता है। वैसे ही मौत भी एक घटना है जिसके बाद इंसान बहुत सी बातो को भूल जाता है। पास्ट लाइफ रिग्रेशन थिरेपी मे भी अभी तक यह मामला नही आया है कि कोई पिछले जन्म मे पशु था या पक्षी था ।डीएनए में भी पुनर्जन्म का राज छिपा है, इसपर भी शोध जारी है। ओर तो ओर कोई इंसान थोडे से प्रयत्न से ही किसी कला या विद्या मे असाधारण योग्यता प्राप्त कर लेता है। जबकि दूसरा इंसान कितना ही प्रयत्न करे कामयाब नही हो पाता । कारण स्पष्ट है कि जिसने पूर्व जन्म मे जिस कार्य का अभ्यास किया होता है , उसे उसकी मदद इस जन्म मे भी मिलती है ।
जवाब देंहटाएंकई बाते सोचने लायक है ...यही कुछ प्रश्न दिमाग में थे .आपके जवाब पढ़े ...बाकी शोध तो जारी है ही शुक्रिया इस जानकारी के लिए
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