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मंगलवार, 3 जुलाई 2012

गुरुपूर्णिमा का पावन पर्व


गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।। 

आज श्रीगुरु पूर्णिमा पर सभी गुरुओ को कोटि-कोटि प्रणाम ।गुरु कौन है-जो हमे ज्ञान  देता है । ज्ञान  प्राप्त कराने वाले को ही गुरु शब्द से संबोधित किया जाता है । जब हम इस संसार मे आते है तो सबसे पहली गुरु हमारी जन्म देने वाली माता होती है । जन्मदात्री माता से हमे सभी सुख प्राप्त होते है ।जन्मदात्री माता से हमे सबसे पहला ज्ञान  प्राप्त होता है ,वो हमे छ्ह् और माताओ का ज्ञान  देती है ।पहली पृथ्वी माता का ज्ञान  जिनसे हमे अन्न धान प्राप्त होता है । दूसरी गौमाता जिनसे समृ्द्धि ,तीसरी संस्कृति माता से नेतृत्व ,चौथी श्रृद्धा माता से सत्य ,पाँचवी प्रतिज्ञा माता से पुरुषार्थ में दृढता ,छठी वेद माता से मुक्ति का ज्ञान  प्राप्त होता है । इन सभी  माताओ जिनसे मुझे ज्ञान  प्राप्त हुआ ।उन सभी गुरु माताओ को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम । पिता भी हमारा गुरु होता है । उनसे भी हमे ज्ञान  प्राप्त होता है ।माता-पिता से जब हमे ज्ञानरुपी आर्शीवाद प्राप्त होता है ,तभी हमे आध्यात्मिक गुरु की प्राप्ति होती है ।हमारे ह्रदय में छुपा आनन्द-स्वरुप चैतन्य परमात्मा का ज्ञान  हमे अपने आध्यात्मिक सदगुरु से प्राप्त होता है ।जिस ज्ञान को प्राप्त करना ही हमारा वास्ताविक लक्ष्य है । अज्ञान रुपी गांठ को खोल कर मुक्त कराने में समर्थ ब्रह्म ज्ञानी को ही गुरु कहा जाता है । ऎसा गुरु ही जीव को आवागमन से मुक्त कराता है । उस परम सुख का द्धार हमे गुरु से ही मिलता है । मानव जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति है और इस लक्ष्य की प्राप्ति सदगुरु की कृपा से ही होती है । जो हमे परम शांति प्राप्त करवाता है । ऎसे सदगुरु महाराज् जी को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।

Anjana

चित्र गूगल साभार

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