श्री सतगुरु महाराज जी को कोटि कोटि प्रणाम. क्या समर्पण करुँ मेरा तो कुछ भी नही,जो कुछ है वो आप ही का है,आप ही का आप को अर्पण मेरे प्रभु...
बुधवार, 14 अक्टूबर 2009
श्री बालकृष्णलाल जी
प्रभु श्री बालकृष्णलाल जी को लुका छिपी का खेल बहुत प्रिय है क्यों? (वृंदावन में भी लाला अपने सखा के साथ लुका छिपी का खेल खेलते थे)क्योकि परमात्मा मानव को संसार में उस के कर्मो के अनुसार भेजते समय एक बार प्रकट होते है फिर वह छुप जाते है मानव की बारी होती है अब लाला को ढूढने की,इसलिए मानव को संसार में आकर उन्हें ढूढने का प्रयत्न करना चाहिए
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